Black Fungal Infection Symptoms: क्या आप में भी है ब्लैक फंगस के लक्षण, यहां चेक करें Black Fungus Disease
कोरोना मरीजों में होनेवाली दूसरी खतरनाक बीमारी म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
इसके मामले सामने आ रहे हैं। गुरुवार तक नौ कोरोना मरीज इसकी चपेट में आ चुके हैं,
जिनमें दो मरीजाें की जान भी जा चुकी है। इसे लेकर सरकार भी अलर्ट हो गई है। सभी जिलों से ऐसे मरीजों की जानकारी मांगी गई है।
साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा इस बीमारी से बचने के लिए
आवश्यक एहतियात तथा उपचार को लेकर जारी एडवाइजरी भेजते हुए अनुपालन के निर्देश दिए जा रहे हैं।
जानकारों के अनुसार, ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा मधुमेह के मरीजों को है।
अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों, स्टेरॉयड के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने तथा लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से
इस फंगस का संक्रमण होता है। आइसीएमआर ने कोरोना मरीजों को सलाह दी है कि वे ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें तथा इसकी अनदेखी न करें।
फंगस इंफेक्शन का पता लगाने के लिए जांच की भी सलाह दी गई है। साथ ही लक्षण होने पर चिकित्सक से परामर्श करने को कहा गया है।
साथ ही इसके लक्षण मिलने पर स्टेरॉयड की मात्रा कम करने या इसे बंद करने का भी सुझाव दिया है।
रांची के मेडिका में ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए बनाई गई डॉक्टरों की टीम में शामिल डा. ए अनुराधा कहती हैं,
अधिक शुगर होने तथा स्टेरॉयड के अधिक उपयोग से यह समस्या आ रही है। यह समस्या युवाओं को भी हो रही है।
उनके अनुसार, मधुमेह से पीड़ित कोविड या पोस्ट कोविड मरीजों को आखं की पलक में सूजन, कम दिखना जैसा लक्षण हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
ये हैं ब्लैक फंगस के लक्षण
- नाक जाम होना, नाक से काला या लाल स्राव होना।
- गाल की हड्डी में दर्द होना
- चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन।
- दांत या जबड़े में दर्द, दांत टूटना।
- धुंधला या दोहरा दिखाई देना।
- सीने में दर्द और सांस में परेशानी।
क्या है उपचार
- किसी मरीज में संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
- उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। कुछ मरीजों में के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख निकालना पड़ जाता है।
- इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है।
- चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक,
- सर्जन की टीम जरूरी है।
क्या कहते हैं एपिडेमियोलॉजिस्ट
मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है। हालांकि अभी गिने-चुने में ही यह समस्या आई है।
इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखने का प्रयास होना चाहिए। स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है।
जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है।
कोरोना से उबरने के बाद लोगों को इसे लक्षण पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।
बीमारी का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है।
इन कारणों से हो रहा ब्लैक फंगस
- अनियंत्रित मधुमेह
- स्टेरॉयड लेने के कारण इम्यूनोसप्रेशन-
- कोरोना संक्रमण अधिक होने के कारण अधिक समय आइसीयू में रहना।
- आइसीएमआर के अनुसार, सामान्य लोगों के लिए यह ऐहतियात भी जरूरी
धूल भरी जगह पर जाने से बचें। मास्क लगाएं। खेतों या बागवानी में मिट्टी या खाद का काम करते समय शरीर को जूते, ग्लव्स से पूरी तरह ढंककर रखें।
स्क्रब बाथ के जरिये सफाई पर पूरा ध्यान दें।
कोरोना मरीज ऐसे बच सकते हैं ब्लैक फंगस से
- खून में शुगर की ज्यादा नहीं होने दें तथा हाइपरग्लाइसेमिया) से बचें।
- कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें।
- स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें।
- एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श से ही करें।