सुबह – सुबह ऐसे करें कपालभाति प्राणायाम 99% रोगों से मुक्ति पाएँ | कपालभाति के फायदे और सही विधि

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सुबह – सुबह ऐसे करें कपालभाति प्राणायाम 99% रोगों से मुक्ति पाएँ | कपालभाति के फायदे और सही विधि

दिनभर तमाम काम करते हुए आप थक जाते हैं। काम के कारण आपका खान-पान भी अनियमित रहता है और आपके पास एक्सरसाइज का भी टाइम नहीं रहता है। ये आदत आपको धीरे-धीरे बीमार बनाती है।

अगर आपके पास समय कम है, तो योग और प्रणायाम स्वस्थ रहने के लिए सबसे अच्छा वकल्प है। कपालभाती प्राणायाम एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है।
योग की हर क्रिया कारगर होती है, लेकिन बात जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है।  

कपालभाति प्राणायाम-Kapalbhati Pranayam In Hindi

कपालभाति प्राणायाम एक सांस लेने की प्रिक्रिया है। कपालभाति संस्कृत से लिए गया शब्द है जिसमें ”कपाल” का अर्थ होता है माथा और “भाति” का अर्थ होता है प्रकाश। अथार्त कपालभाति को नियमित करने से माथे व् चहरे पर क्रांति या चमक आती है। कपालभाति प्राणायाम सांस से सम्बंधित व्यायाम है, जो कई बीमारियाँ दूर करता है। यह पूरे सरीर को स्वस्थ रखने मैं एक चमत्कारी प्राणायाम है।

  कपालभाति प्राणायाम कैसे कार्य करता है-How To Work Kapalbhati Pranayam In Hindiसामान्य सांस में सांस लेना सक्रिय प्रक्रिया है जबकि सांस छोड़ना निष्क्रिय प्रिक्रिया है। जबकि कपालभाति प्राणायाम मैं ये उल्टा होता है पेट की मासपेसिया और डायाफ्राम को जबरदस्ती हवा सांस छोड़ने के लिए इस्तेमाल करती हैं। पेट की मासपेसियों को हवा बहार फेकने की दसा मैं अन्दर की और ले जातें है। सांस लेना एक निष्क्रिय सुकून की तरह ताजा हवा के साथ फेफड़ों को भरने के लिए किया जाता है। यह दो सांस के बीच बिना कोई अंतराल के अभ्यास किया जाता है इससे शरीर के सभी नकारात्मक तत्व निकल जाते है, और शरीर और मन सकारात्मकता से भर जाता है। योगा से पूरी दिनचर्या अच्छे से गुजरती है। सिर्फ कपालभाति ही ऐसा प्राणायाम है जो शरीर और मन दोनों को शुद्ध कर सकता है।

  कपालभाति प्राणायाम कैसे करें-Steps of Kapalbhati Pranayam In Hindi

कपालभाति प्राणायाम हठयोग के अन्दर आता है और इसमें 6 विधि आती है जो की इस प्रकार है :

  1.  सबसे पहले सपाट या समतल जमीन पर कोई भी आसन बिछाकर आरामदायक मुद्रा मैं बैठ जाएँ। 
  2. अब अपनी आँखे या नेत्रों को बंद कर करें। अब अपना पेट ढीला छोड़ दें। 
  3. अब अपनी नाक मैं से साँस को बहार की तरफ फेंकें और अपने पेट को भीतर की धक्का दें। 
  4. अब सांस को अंदर लें याद रहे की वही संतुलन बना रहे संतुलन बिगाड़े नहीं। 
  5. जब सांस छोड़ते हो तो आपके पेट की अतडियाँ निचे चली जानी चाहिए और सांस लेते समय वे ऊपर आजानी चाहिये। अब यह प्रिक्रिया दोराहें 10-12 बार। अब थोडा सा आराम करें। 
  6. फिर 7-8 बार करें ऐसे ही आप हर महीने बढाते चले जाएँ।


कपालभाति प्राणायम के लाभ-Benefits of Kapalbhati Pranayam In Hindi

 1. शरीर की फिटनेस : अगर कपालभाति प्राणायाम को नियमित रूप से करें तो यह शरीर की फिटनेस या बनावट को बनाये रखता है।
 2. वजन को कम करे : कपालभाति प्राणायाम के नियमित अभ्यास से वजन कम होता है।
 3. सकारात्मक विचार : यह प्राणायाम मस्तिष्क में से नकारात्मक विचारों को निकालकर सकारात्मक विचारों का निर्माण करता है।
 4. स्वास नालियों को साफ़ : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से स्वांस नालियां साफ़ हो जाती है।
 5. विचारों को नियंत्रित : कपालभाति प्राणायाम के नियमित सुबह-सुबह प्रतिदिन अभ्यास से विचार नियंत्रित होने लगते हैं।
 6. खून मैं आक्सीजन : अगर इस प्राणायाम को नियमित रूप से किया जाए तो खून में कम ओक्सिजन की मात्रा को पूरी करता है।
7. पाचन शक्ति : कपालभाति प्राणायाम डाइजेस्ट सिस्टम या पाचन तंत्र को सही रखता है।
 8. भूक को बढाता है : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से भूक खुलकर लगने लगती है।
9. ललाट पर चमक : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से ललाट पर चमक आती है।
 10. मधुमेह रोग में : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मधुमेह या सुगर रोग में लाभ होता है।
 11. कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम : कपालभाति प्राणायाम बढे हुए कोलेस्ट्राल को कम करता है।
 12. आँखों की रोशनी को बढाता है : कपालभाति प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आखों की रोशनी बढती है। 13. कफ विकार में : कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास से कफ के रोगी को फायदा मिलता है।
 14. इन सभी रोगों में : यह प्राणायाम कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है।
 15. फेफड़ो के रोगों में : कपालभाती प्राणायाम के नियमित अभ्यास से फेफड़ो के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
16. खून का प्रवाह : कपालभाती खून का प्रवाह शरीर के निचले अंगो में बढ़ाता है जिससे शरीर के निचले अंग सही तरीके से काम करते है।
 17. डायाफ्राम रोग में : इस प्राणायाम से डायाफ्राम भी ताकतवर और लचीला होता है । जिससे हर्निया होने की संभावना कम हो जाती है।

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