सफेद दाग का इलाज

Ayurveda
सफेद दाग, यानी विटिलाइगो (vitiligo) या Leucoderma को लेकर तरह-तरह के भ्रम हैं। लोग इसे लाइलाज बीमारी मानते हैं, जबकि डॉक्टरों के मुताबिक यह एक कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है और इसका इलाज घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खों से बहुत हद तक मुमकिन है।

सफेद दाग को बढ़ने से रोकने और इसे ठीक करने के लिए इन घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाकर आप आसानी से ठीक कर स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं।

 विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है. दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है.

देश में इस बीमारी को समाज में कलंक के रूप में भी देखा जाता है. विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है.

दुनियाभर में त्वचा त्वचा विशेषज्ञों का दूसरा सबसे बड़ा एसोसिएशन एवं देश के डर्मेटोलाजिस्ट का सबसे बड़ा आधिकारिक संगठन इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्टस, वेनेरियोलोजिस्ट एंड लेप्रोलॉजिस्ट (आई.ए.डी.वी.एल) ने 22 जून को ‘विश्व विटिलिगो दिवस’ के मौके पर विटिलिगो के उपचार विकल्पों, इससे जुड़े तथ्यों व मिथकों पर प्रकाश डाला.

इस दौरान विटिलिगो के उपचार पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. साथ ही इससे होने वाले अवसाद को रोकने व त्वचा की स्थिति पर भी जानकारी दी.

विटिलिगो एक प्रकार का त्वचा विकार है, जिसे सामान्यत: ल्यूकोडर्मा के नाम से जाना जाता है. इसमें आपके शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं. इस बीमारी का क्रम बेहद परिवर्तनीय है. कुछ रोगियों में घाव स्थिर रहता है, बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि कुछ मामलों में यह रोग बहुत ही तेजी से बढ़ता है और कुछ ही महीनों में पूरे शरीर को ढक लेता है. वही कुछ मामलों में, त्वचा के रंग में खुद ब खुद पुनर्निर्माण भी देखा गया है.

जब आपके शरीर में मेलेनोसाइट्स मरने लगते हैं, तब इससे आपकी त्वचा पर कई सफेद धब्बे बनने शुरू होते हैं. इस स्थिति को सफेद कुष्ठ रोग भी कहा जाता है. यह आमतौर पर शरीर के उन हिस्सों जो कि सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आते हैं, चेहरे, हाथों और कलाई के क्षेत्र इससे ज्यादा प्रभावित होते है.

समाज में विटिलिगो से जुड़े कई मिथकों के कारण प्रभावित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का सामना भी करना पड़ता हैं. विटिलिगो व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं करता है. इसे लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है.

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