Vipassana Meditation | विपस्सना ध्यान
विपस्सना ध्यान भगवान बुद्ध द्वारा खोजी गई यह ध्यान साधना की ऐसी पुरातन प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से ही आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि संभव है।
विपश्यना (Vipassana) आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की अत्यंत पुरातन साधना-विधि है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना विपश्यना है। लगभग २५०० वर्ष पूर्व भगवान गौतम बुद्ध ने विलुप्त हुई इस पद्धति का पुन: अनुसंधान कर इसे सार्वजनीन रोग के सार्वजनीन इलाज, जीवन जीने की कला, के रूप में सर्वसुलभ बनाया।
जिवन जीनेकी कला. इस सार्वजनीन साधना-विधि का उद्देश्य विकारों का संपूर्ण निर्मूलन और परिणामतः परमविमुक्ति का उच्च आनंद प्राप्त करना है। विपश्यना आत्म-अवलोकन के माध्यम से आत्म-परिवर्तन का एक तरीका है.
यह मन और शरीर के बीच गहरे अंतरसंबंध पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसे शरीर के चेतना का निर्माण करने वाली भौतिक संवेदनाओं पर सीधे ध्यान देकर अनुभव किया जा सकता है, और यह मन की चेतना की गतिविधि को लगातार परस्पर संबंध और स्थिति में रखती है.
मन और शरीर की सर्वसामान्य जड़ की यह अवलोकन-आधारित, आत्म-खोजात्मक यात्रा है, जो मानसिक अशुद्धता को पिघलाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संतुलित मन प्यार और करुणा से भरा होता है. हमारे विचार, विकार, भावनाएं, संवेदनाएं जिन वैज्ञानिक नियमों के अनुसार चलते हैं, वे स्पष्ट होते हैं।
अपने प्रत्यक्ष अनुभव से हम जानते हैं कि कैसे आगे जाते है या पीछे हटने की प्रकृति, कैसे दुखोको जन्म देता है या कैसे दुखो से छुटकारा पाया जा सकता है यह समझने लगता है। हम बढी सजगता, सचेतता, अभ्रांतिमय, संयमित और शांतिपूर्ण बनते हैं।