नाभि खिसकना या धरण गिरने के कारण, लक्षण एवं उपचार

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नाभि का अपने स्थान से खिसक जाने को नाभि हटना ( Nabhi Hatna), धरण जाना या ( Dharan Jana ), धरण गिरना Dharan girna, गोला खिसकना ( Gola khisakna ) पिचोटी खिसकना ( Pichoti Khisakna ), नाभि पलटना ( Nabhi Palatna) या नाभि चढ़ना ( Nabhi Chadhna )
आदि नामों से भी जाना जाता है।

नाभि का खिसकना जिसे आम लोगों की भाषा में धरण गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता। और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाते हैं।

नाभि खिसकने के कारण पेट दर्द , कब्ज , दस्त , अपच आदि होने लगते है। यदि नाभि का उपचार ना किया जाये तो शरीर में कई प्रकार की अन्य परेशानियाँ पैदा हो सकती है।

नाभि खिसकना यानि नाभि के स्थान पर नाड़ी का ऊपर या नीचे की ओर खिसकना। नाभि स्थान पर नब्ज की तरह महसूस होने वाली नाड़ी का अपने जगह से ऊपर या नीचे की ओर खिसकना ही नाभि खिसकना कहलाता है।
नाभि खिसकना या नाभि उतरना, जैसे शब्द आपने जरूर सुने होगें। नाभि खिसकने पर अक्सर पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द या दस्त की समस्या का सामना करना पड़ता है। नाभि खिसकना के उल्लेख आमतौर पर आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में बेहद विस्तार से मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार जिस तरह रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर उसमें टेढ़ापन आ जाता है। उसी तरह पेट में नाभि के खिसकने से पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इसके साथ ही नाभि खिसकने पर महिलाओं को पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। वैसे तो नाभि खिसकने का कोई उपचार नहीं हैं, लेकिन भारतीय चिकित्सा पद्धति यानि आयुर्वेद में योगासन और घरेलू उपचारों के माध्यम से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए आज हम आपको नाभि खिसकना क्या है, नाभि खिसकने के कारण, लक्षण और उपचार बता रहे हैं।

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